Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Smita Rai

Classics

4.8  

Smita Rai

Classics

नारी के मुख से

नारी के मुख से

1 min
664


मैं चिर अनन्त अप्सरा, स्वर्ग की अवतारी हूँ

तुझमें तेरी होकर रहती, मैं तेरे भीतर की नारी हूँ।


सृष्टि-रचना का भार लिया, ममता का उपहार दिया

अपने रक्त से तुझे सींचा,कोमल उर पर अधिकार दिया


प्रेम किया अपनी रचना से, तेरे सृजन पे सबकुछ वारी हूँ,

तुझमें तेरी होकर रहती, मैं तेरे भीतर की नारी हूँ।


अधरों में लाल गुलाब खिला,नयनों से तेज़ तलवार चला

तूने शर्म लाज का पाठ पढ़ा, कविता का व्यापार गढ़ा


मैं कभी न चुकने वाली, उन पंक्तियों की उधारी हूँ

तुझमें तेरी होकर रहती, मैं तेरे भीतर की नारी हूँ।


प्रियतम से तिरष्कार मिला, मुझे सम्पत्ति का आकार मिला

तेरी मूक,कुनीति में सती हुई, बीच सभा दुराचार मिला।


इतिहास के पन्नों में दर्ज़ हुई, मैं सभ्यता की लाचारी हूँ

तुझमें तेरी होकर रहती, मैं तेरे भीतर की नारी हूँ।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics