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सुरेंद्र सैनी बवानीवाल "उड़ता "

Classics

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सुरेंद्र सैनी बवानीवाल "उड़ता "

Classics

ताल मिला

ताल मिला

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ताल मिला आईना जो देखा दिले-हाल मिला 

है मधुर संगीत ताल से ताल मिला 


था बेतरतीब हर कोई इस शहर में, 

देखा गौर से, न कोई फटेहाल मिला


जवाब ढूंढ़ने चला और उलझ गया

जो भी मिला, मुख पर सवाल मिला

एहसासों का समंदर बहुत गहरा था, 

उम्मीदी ना सीप ही, न शैवाल मिला


माना क़ि तूफां में घिरना था लाज़मी, 

पर हौसले की नाव पे बड़ा पाल मिला


संवेदना में सुलगता अंदर उबाल मिला

"उड़ता"आते वक़्त में आगे काल मिला।


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