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सुरेंद्र सैनी बवानीवाल "उड़ता "

Romance

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सुरेंद्र सैनी बवानीवाल "उड़ता "

Romance

मेरा शहर

मेरा शहर

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मेरा शहर वो आए मेरे शहर ना जाने क्या सोचकर

पुराने शिकवों से दोबारा नाता जोड़कर


मिले थे जब उनसे, काफ़ी बातें हुई थी

कहते थे वो, नहीं जाऊंगा तुम्हें छोड़कर


उनको मेरे शहर मे मेरी यादें खींच लायी

खुशनसीबी है,जो उन्हें दोस्ती याद आयी


जानता हूँ ये सब तो, संयोग की बातें हैं

वर्ना वो चले गए थे, मुझसे रिश्ता तोड़कर


उनसे बोलचाल, घुलना-मिलना था मेरा

उनसे कोई अंजाना  सा वास्ता था मेरा


वो आए हैं मेरे एहसास-बंधन मे बँधकर

बाकी सब पुरानी बातों  को  भूलकर


फिर से शिकायतों का मौका ना देंगे

कोशिश से उनकी हर आरज़ू पूरी करेंगे


मेरा खुदा मुझ पर मेहरबान है "उड़ता"

मैं  ख़ुश हूँ उन्हें अपने शहर में देखकर।


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