कहाँ निकली है..
कहाँ निकली है..
कहाँ निकली है.. जाने नींद कहाँ निकली है
रात करवटों में निकली है
सुनसान हुआ सारा जहाँ
रात आहटों में निकली है
किसी शौर में कैद हूँ मैं
चिल्लाहटों में निकली है
वीरानियाँ दूर तक फैली है
रिक्त बसावटों में निकली है
ज़िन्दगी जैसी कटी है
'उड़ता' सनसनाहटों में निकली है!