STORYMIRROR

सुरेंद्र सैनी बवानीवाल "उड़ता "

Abstract

3  

सुरेंद्र सैनी बवानीवाल "उड़ता "

Abstract

कहाँ निकली है..

कहाँ निकली है..

1 min
248

कहाँ निकली है.. जाने नींद कहाँ निकली है

रात करवटों में निकली है

सुनसान हुआ सारा जहाँ

रात आहटों में निकली है

किसी शौर में कैद हूँ मैं

चिल्लाहटों में निकली है

वीरानियाँ दूर तक फैली है

रिक्त बसावटों में निकली है

ज़िन्दगी जैसी कटी है

'उड़ता' सनसनाहटों में निकली है!


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract