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Arun Pradeep

Comedy

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Arun Pradeep

Comedy

होली विषाद

होली विषाद

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आना होली का कहे, बलमा गए परदेश

छज्जे गोरी बैठ कर, सुखा रही है केश


कोरोना की छांव में, गोरी बैठी हार

आभासी संसार में, कब तक चलेगा प्यार

नया नया ही प्यार था,

आया कोरोना काल


तोता मैना सी प्रीत को,

कर डाला बदहाल

कर डाला बदहाल, समझ वो कुछ न पाते

बैठे गज भर दूर, 

नैन से सैन चलाते


कह प्रदीप कविराय,

 कहाँ भागा वो चीनी

कौन जन्म का शाप रहा, खुशियां यूँ छीनीं।


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