दुःखी पति की पुकार...
दुःखी पति की पुकार...
आज फिर बेसकूनी और गम ऐ दिल है
बहुत ज्यादा आ गया बिजली का बिल है
तुमसे शादी में कुछ ऐसे निभा रहा हूँ
बारिशों के मौसम में भी गीजर चला रहा हूँ
तुम्हारे मा-बाप ने तुम्हे ऐसे पाला है
पिज़्ज़ा हट का डिलीवरी बॉय बन गया मेरा साला है
जब तुम मुझे व्हट्सूप पर पति-पत्नी पर बने लतीफे सुनाती हूँ
ऐसा लगे मेरा ही मज़ाक उड़ाती हूँ
तुम मंदाकनी और उर्वशी का अवतार हूँ
तुम्हारे साथ चलकर यह एहसास होता है
हूर तुम जैसी होती है और लंगूर मुझ जैसा होता है
मैके चले जाना का दस्तूर पुराना है
तुम रूठी रहो मुझे तू सिर्फ मनाना है
अभी कपडे धोये है फिर उन्हें सुखाना है
घर का सारा काम करके ऑफिस भी जाना है
उस घडी को कोस रहे है जब घोड़ी चढ़े थे
अच्छे खासे कुंवारे थे
मत मार्री गयी जो पति बने थे..... !!!!