शब्दासमन
शब्दासमन
लगाव में रत रहते,
कभी ऐसा भी होता है
लेखन चलते आगे,
लेखक पीड़ा होता है।
कभी रह जाते भाग्याधिन,
कुछ राहों में बिखरता होता है।
जमाने भी बहते गम भर,
सांचों भी खता होता है।
हर पल का ए गुजारा,
अपना जीवन का शेष होता है।
नज़र के अंदाजे नहीं,
क्षितिज का सार दिखता होता है।
शब्द सरते ही रहते,
बहाते मेले पार यार होता है।
