खुश्नुमा
खुश्नुमा
बहती सर्द अपने अंदाज में,
थरथराते नीति धातु रियाज में।
आई संक्रांत नभ भरने,
त्योहारों के अनोखे जंजाज में।
बहता घर आनंद आह्वान में,
बहती रहें संवेदा संजाज में।।
भानु किरण अच्छे लगे,
ठिठुराती क्षितिज साझाज में।
