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Manjibhai Bavaliya,મનરવ

Abstract Comedy Tragedy

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Manjibhai Bavaliya,મનરવ

Abstract Comedy Tragedy

बेहाल कर दिया

बेहाल कर दिया

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बहता जमाना बहते वक्त ,

बेहाल कर दिया,

जीवन से भी नाराज कर दिया।


कर कर्म निर्थक बन,

तो भी बेकार कर दिया,

साथ बीन बेसहारा कर दिया।


मैंने माना प्यार सदा तो ,

जीवन निरस कर दिया,

खरीदे भीनी पतझड़ कर दिया।


बहती पलों की यादें,

सुमिरन आहे ने भर दिया,

यादों का विस्मरण कर दिया।


कार्य बजे लोकालय में,

गुंज गुंज नाम वर दिया,

जहां व कुछ नहीं दूकाल कर दिया।


करे आस उसकी वादें,

पर बन बहती ना दें,

रहते कोई नाकाम कर दिया।



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