होली पर रंग भरी ठिठोली
होली पर रंग भरी ठिठोली
आगे आगे होली पीछे रंगों की बारात
पिचकारी यूं बोली मुझसे डरने की क्या बात
छोड़ के सारे भेदभाव सब गले प्रेम से मिल लो
एक दिन तो यारों फूलों के जैसे सब खिल लो
गुंजिया के जैसे मीठा हो जीवन का ये सफर
मस्ती हुल्लड़ में नहीं रहनी चाहिए कोई कसर
उड़ै अबीर गुलाल घुल गई भंग फिजां में आज
प्रेम के रंग में रंग गई दुनिया छोड़ के सारे काज
रंगों के पर्व होली पर सभी को हार्दिक शुभकामनाएं