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Sudhakar Mishra

Comedy Others

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Sudhakar Mishra

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फागुन

फागुन

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महीना फागुन आया है

हवा मतवाली लाया है

उठे अंगड़ाई सी तन में

कौन जी को तरसाया है


        छेड़ता नटखट नंद का लाल

        शरम से हुए गुलाबी गाल

         रंग गया प्रेम के रंग मुझको

         हाय मैं हुई शरम से लाल


 दौड़ रंग डाले बाल गोपाल

 भाभी - देवर नाचै दे ताल

 अपनी सुध भूले होली में

 दादा - दादी और उनके लाल


         बुरा ना मानो होली में

         प्रेम से पगी ठिठोली में

         जो झूमेगा फिर दिल इतना

         कहाँ दम भाँग की गोली में


  होली के रंग में बदली चाल

  बहू को बोले ससुर कमाल

  पत्नी को बोले वह भाभी

  पड़ोसन क्या मस्त है चाल


         देकर ढोलक पर ताल

         बजाए झांझ और करताल

         फाग के रस में सब डूबे

         उड़े चहुं ओर अबीर गुलाल।


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