Sudhakar Mishra

Romance

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Sudhakar Mishra

Romance

पहला प्यार

पहला प्यार

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ये प्यार, मोहब्बत, दिल की लगी, क्या बला थी हमने ना जाना।

क्यों लोग परेशान होते हैं, अनकही ये आफ़त ना जाना।।

कुछ लोग हुए आबाद जहां में, बर्बाद हुए क्यूं ना जाना।

नेमत है भगवान की दी हुई, सब ने कहा क्यों ना जाना।।

बदला - बदला है इंसां क्यूं , बदली क्यूं आदत ना जाना।

इस उधेड़बुन में पड़कर मैं , कब हुई बड़ी ये ना जाना।।

कब लगने लगा कोई प्यारा , क्यों लगने लगा कोई न्यारा।

ऋतु वसंत की जब आई , कुछ खोया था जो था मेरा।।

क्यों मन होए बेचैन मेरा , नहीं नींद थी मेरी आंखों में।

तड़पे मन उस पंछी जैसे , ज्यों खंजर चला हो पांखों में।।

है घड़ी ये कैसी अाई है , है रोग ये कैसा ना जानूं।

तू ही बतलाए हे ईश्वर , मैं किसको अपना मानूं।।

ये कोई रोग है जीवन का , या है कोई जीवन का मोड़।

कोई दवा है इस गम की , या कोई इसका भी है तोड़।।

लोगों का अनुभव कहे इसे , दिल की लगी या प्रीत का रोग।

अब समझी मै दिल का लगाना , क्यों कहते इसे दिल का रोग।।

अधूरा है ये जीवन अपना , प्रेम तो है एक मीठा सपना।

दिल , ले - देकर , नव जीवन पाओ , मीठे सपनों मै खो जाओ।।



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