पायल
पायल
॥ॐ श्री वागीश्वर्यै नमः॥
झनक झनक पायल बजे, पिय उर जगे बहार।
ठुमक ठुमक अंगना चले, पिय हिय चढ़ता प्यार ॥१॥
पायल के नूपुर कहे, बढ़ा रहे हम प्यार।
पग में धारे प्रेयसी, देती खुशी अपार ॥१॥
प्रेम पाठ के मूल में, बसती पायल सार।
नाद मोहिनी जब करे, झूम उठे संसार ॥३॥
पायल शोभा पैर की, करे चित्त पर वार।
शब्द मधुर जो भी सुने, चित्त चले वो हार॥४॥
हार हेरते नयन हैं, पायल जाने कान।
पायल जो पहचानता, उसके मुख मुस्कान॥५ ॥
पायल बंधन तब लगे, रहे बेबसी चित्त।
मन को मन पर छोड़कर, साधन बनती वित्त॥६॥
पायल नारी-प्यार है, गणिका का हथियार।
एक जीतती चित्त को, दूजी वित्त अपार ॥७॥