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Devesh Dixit

Romance

4  

Devesh Dixit

Romance

तुम

तुम

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280


तुम बिन कभी न मैं रह पाऊं

तुम्हारी मौजूदगी से मैं खिल जाऊं

होती नहीं कभी जब तुम पास मेरे

तुम्हारी प्रतीक्षा में मैं बिखर जाऊं


तुम्हें देखकर तुम्हारी ओर खिंचा आऊं

तुम्हारे सिवा और कहां मैं जाऊं

वर्षा की बूंद हो तुम जीवन में मेरे

उस बूंद से जीवन में मैं ठंडक पाऊं


जीवन में तुम्हारे मैं खुशियां भर पाऊं

तुम्हारे लिए कुछ अच्छा कर पाऊं

तुम से ही जिंदगी में उजाला है मेरे

उस उजाले को कभी बुझने न दे पाऊं


तुमसे ही जिंदगी के रस ले पाऊं

तुमसे ही मौज मस्ती मैं कर पाऊं

तुम जो आ जाओ आगोश में मेरे

खुद को जन्नत में मैं महसूस कर पाऊं



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