STORYMIRROR

Devesh Dixit

Romance

3  

Devesh Dixit

Romance

बदलते मौसम की तरह

बदलते मौसम की तरह

1 min
141

बदलते मौसम की तरह,

तुम भी बदल मत जाना।

जो खाये हैं कसमे - वादे,

कभी उन्हें भूल मत जाना।


तेरा मेरा जो अटूट साथ है, 

कभी तोड़ उसे मत जाना।

मेरी आँखों में विश्वास तेरा,

वो विश्वास तोड़ मत जाना।


कई देखे हैं यहाँ मौसम मैंने,

उन मौसम सी मत हो जाना।

तेरा ही है अब सहारा मुझको,

यूँ बे-सहारा छोड़ मत जाना।


तुमसे गिला नहीं अब मुझको,

मुँह फेर, खड़ी मत हो जाना।

मनाऊँगा फिर कैसे मैं तुझको,

यूँ बे-रहम कभी मत हो जाना।


बदलते मौसम की तरह,

तुम भी बदल मत जाना।

जो खाये हैं कसमे - वादे,

कभी उन्हें भूल मत जाना।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance