पायल
पायल
पैरों में बंधी पायल जब आवाज़ करती है,
छन - छन बजकर ये मधुर गान करती है।
श्रवणों को लगती है मधुर आवाज इसकी,
ऐसा ये हर - पल अनोखा काम करती है।
छेड़ देती है ये पायल दिल की तरंगों को,
इसकी मधुर झंकार बढ़ा देती उमंगों को।
लालसा ही बनी रहती इसके झनकने की,
मन को ये लुभाती है जैसे दीप पतंगों को।
इसकी सुंदर नक्काशी लुभाती दृगों को,
प्रबल करती इच्छा इसे निहारते रहने को।
ऐसा ही जानती ये वशीकरण की विद्या,
दिल करे सदा ही इसे पास में रखने को।
ये ही निभाती है अभिनय जादूगरनी का,
जैसे की पंछी उतावला हो इसे सुनने का।
सबको भी सदैव कर जाती है मदहोश ये,
हम भी तो उठाते हैं लुत्फ इसे सुनने का।
पैरों में बंधी पायल जब आवाज़ करती है,
छन - छन बजकर ये मधुर गान करती है।
श्रवणों को लगती है मधुर आवाज इसकी,
ऐसा ये हर - पल अनोखा काम करती है।