शब्दों की देहलीज़
शब्दों की देहलीज़
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शब्दों की देहलीज़ को,
करना मत तुम पार।
नियंत्रित रखो शब्द को,
हो जायेगा उद्धार।
हृदय में होती तब पीर है,
जब शब्द करें आघात।
कभी चुभता तीक्ष्ण तीर है,
स्थिति है अब आपात।
शब्द ही ईश्वर है शब्द ही काल,
समय पर छोड़ें इसकी धार।
फैलाया है इसने ऐसा अब जाल,
न जाने कैसा हो व्यवहार।
यही है मरहम और यही तलवार,
कौन जाने क्या है आसार।
मन पर चढ़ गया कुछ ऐसा भार,
लगा ऐसे जैसे गया मैं हार।
शब्दों की देहलीज़ को,
करना मत तुम पार।
नियंत्रित रखो शब्द को,
हो जायेगा उद्धार।