मयूर
मयूर
प्यार का पैग़ाम लाया, ये जो मौसम साथ लाया
प्रिय तुम्हारे लिए बने हम, भाग्य क्या संजोग लाया
में मयूर हूँ, झूमता हूँ
प्रिय तुम्हारी प्रतीक्षा में
में तुम्हें ही प्रेम करता
क्या ये दुनिया हम क्या जाने
ख़ूबसूरत पंख मेरे, मैं बड़ा इठ्ला के चलता
हर कवि के कल्पना में, प्रेम का प्रतीक में हूँ
मुझे प्रिय है मेरा प्रियतम , दोनो लिए एक अस्तित्व निराले
में मयूर तुम मेरी मयूरी दुनिया अनोखी हम मिलके जाने
प्रेम की जो राह पकड़ी, नाचते हम भाग्य के आगे
तुम मेरी में तेरा प्रियतम प्रेम में मगन दुनिया को भूले
भोर का शोर हो या फिर रात की गहराइयाँ हो
तुम हो मुझमें में हूँ तुमसे ये जीवन रथ को मिलके हाँके।