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Deepak Sharma

Romance

5.0  

Deepak Sharma

Romance

कनखियों से जब वो

कनखियों से जब वो

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देख कनखियों  से जब  मुस्कुराते हैं

दिल जिगर और जान सब ले जाते हैं


हमसे कब वो यूँ ही  मिलने  आते हैं

ग़ैर के जैसे  काम  पड़े  तब आते हैं


अब तो रहा नहीं दौर निभाने वाला वो 

सब  रस्मन ही  मिलने  आते जाते हैं


ख़ुद  को देख  के  हँसते रोते रहते हैं

यूँ  आईने  तुझसे  यार  निभाते हैं


कुछ तो तेरे दिल में भी हलचल होगी 

आँख से जब हम तेरी आँख मिलाते हैं


हमको है मालूम नहीं तुम आओगे

राह तुम्हारी फिर भी देखे जाते हैं


दर्दो अलम का ज़िक्र करें भी क्या सबसे 

अपने अश्क़ ही अपनी प्यास बुझाते हैं


बहुत देर तक रात गए जब जागूँ मैं

याद पुरानी यादों के पल आते हैं


तन्हाई से शिकवा ‘दीपक’ अब कैसा 

फ़ुर्कत के पल ख़ुद से मुझे मिलाते हैं।


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