STORYMIRROR

Deepak Sharma

Abstract

4  

Deepak Sharma

Abstract

इश्क़ में पड़ी होगी

इश्क़ में पड़ी होगी

1 min
91

कब सुकूँ में ये ज़िंदगी होगी 

कब तेरी गोद में जबीं होगी 


क्यूँ चमकती हैं नज़रें रह रह कर

बात अच्छी कोई लगी होगी 


रात भर ख़्वाब क्यूँ लड़े जाने

किस तसव्वुर दोस्ती होगी

 

अपने साये से दूर जा बैठे 

कोई धोखा धड़ी हुई होगी 


दिल उलझता है तेरी बातों में 

इश्क़ होगा या दिल्लगी होगी 


मुँह से कहने की कुछ ज़रूरत क्या 

अब सुख़न अपनी बोलती होगी 


बाल बिखरे हैं आँख में आँसू 

बावली इश्क़ में पड़ी होगी! 



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract