रंगते अश्क़ चलो लाल बना ली जाये
रंगते अश्क़ चलो लाल बना ली जाये
रंगते अश्क़ चलो लाल बना ली जाये
अब दुआ ऐसे सरे अर्श उछाली जाये
जाल नज़रों का यूँ फेंके के न ख़ाली जाये
ऐसे देखे है के धड़कन न संभाली जाये
दूर से देख के पहचान सकें सब इसको
दर्द की भी कोई तस्वीर बना ली जाए
बददुआ दो कोई के ख़त्म हो साँसों का सफ़र
ज़िंदगी अब नहीं हमसे तो संभाली जाए
आह वीरान हुआ लगता है दिल का कमरा
इस बयाबाँ से तेरी याद निकाली जाये
कोई उम्मीद जो देता तो ग़नीमत होती
अब कहाँ तेरे तसव्वुर का सवाली जाये
सामने आके मेरे बैठ गया वो ‘दीपक’
साँस सीने में बता कैसे संभाली जाये।