STORYMIRROR

Deepak Sharma

Abstract

4  

Deepak Sharma

Abstract

सवाल आँखों का

सवाल आँखों का

1 min
55

राज़ ही न कर दे ज़ाहिर सवाल आँखों का 

देखभाल करना रखना ख्याल आँखों का 


हो गयी हैं आजुर्दा इंतिज़ार कर करके 

देखना कभी तू आकर ये हाल आँखों का 


कोई उनमें जो देखेगा तो जानेगा यह भी 

बेमिसाल होता है ये कमाल आँखों का 


छू रहे हो अपनी आँखों से बारहा इसको 

टूट ही न जाये जामे-सिफ़ाल आँखों का


और उलझेंगी ज़ुल्फ़ों से ये उँगलियाँ मेरी 

बुन लिया अभी से तुमने ये जाल आँखों का 


दे विसाल की शब तक़दीर गर कभी मुझको 

पास बैठकर दिखलाऊँगा हाल आँखों का 


आसमाँ चमकता है जैसे चाँद से ‘दीपक’

कर दिया यूँ रुतबा तूने बहाल आँखों का! 



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract