बेमौत न मारा जाए..
बेमौत न मारा जाए..
एक दिल मुझपे भी बस, ऐसे ही वारा जाए।
है मुझे इश्क़ सो बेमौत न मारा जाए।।
मौत ही मौत है गर हासिले ग़म दुनिया का।
ज़िंदगी किसलिए फिर तुझको पुकारा जाए।।
रोज़ दिलकश से नए चेहरे दिखे हैं तुझमें।
आइने तेरी नज़र को भी उतारा जाए।।
चल उसे आज भी शर्मिंदा करेंगे मिलकर।
ग़म के हर लम्हे को अब हंसके गुज़ारा जाए।।
दर्द बेचैन करे, मुझको सम्भाले कोई।
अजनबी शह्र में अब किसको पुकारा जाए।।
बात क्यूँ इसकी गली उसकी गली तक पहुँचे।
बंद कमरे में लिया नाम तुम्हारा जाए।।
अब तमन्ना भी नहीं कोई करेंगे ‘दीपक’।
जैसा मिल जाए उसे वैसे गुज़ारा जाए।।