आना उसको ...
आना उसको ...
हाले दिल जाके कोई काश बताता उसको ।
फिर वो जाने के है आना या न आना उसको।।
ए लगी दिल की तेरा कुछ भी न हो पाएगा ।
आ गया देख बहानो का बनाना उसको।।
चारगर कह के कई बार पुकारा है जिसे।
हम जियें दर्द हुआ कैसे गवारा उसको।।
वो है मासूम नहीं जाने ज़माने का चलन।
इश्क़ में अश्क़ मिलेंगे ये बताना उसको।।
छोड़िए अब वो पुरानी सी कहानी का ज़िक्र।
हम भी कहते थे कभी जान से प्यारा उसको।।
ए मियाँ तुम भी कहाँ हुस्न के झाँसे में रहे।
हाय आता ही नहीं वादे निभाना उसको।।
बेख़बर हो गया है मुझसे मसीहा मेरा।
आ गया रास मेरा रूठ के जाना उसको।।
मै भी शामिल था मुहब्बत तेरे अफ़साने में।
क्यूँ दिए जाये मगर ताने ज़माना उसको।।
काम ‘दीपक’ का है हो ख़त्म अंधेरा सबका।
चाहे जिस दर पे मेरे यार जलाना उसको।।
