छिपा राज़
छिपा राज़
दिल की गहराइयों में कहीं कोने में रखा है,
हां तेरा नाम सबसे छिपा के रखा है।
कहीं दूर न हो जाएं हम तेरे से,
इसलिए ये राज़ तुझसे भी छिपा के रखा है।
आसपास हो तुम तो डरता है दिल,
ये अफसाना कहीं हवा में काफिर न हो जाये,
खुद को खुद से ही जुदा कर रखा है।
हां तेरा नाम सबसे छिपा के रखा है।
कहीं दूर न हो जाएं हम तेरे से,
इसलिए ये राज़ तुझसे भी छिपा के रखा है।
राहत नहीं मन में बस तेरी ही आहट है,
तेरी बातों ने दी जो इश्क़ की सरसराहट है,
इश्क़ को सर पर उठा कर रखा है।
हां तेरा नाम सबसे छिपा के रखा है।
कहीं दूर न हो जाएं हम तेरे से,
इसलिए ये राज़ तुझसे भी छिपा के रखा है।