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प्यार का विश्वास

प्यार का विश्वास

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बेइज़्ज़त किया कितना तुमने, याद नहीं रखते हम

याद अगर वो रखते तो, तुमसे आज भी प्यार नहीं करते हम...

यह सोच के भुला दिया की होगी तुम्हारी भी कोई मज़बूरी 

दिल से प्यार किया है तुमसे, तुमको न भुला पायेंगे हम...


अगर गर्दिश भी निचे आ के कहे की तुमको हम भुला दे

तूने हमे दी हुई सारी मुसीबतों और तन्हाईयों का तुमको सिला दे 

बात न मानेंगे हम किसी गर्दिश की, न ईश्वर की - न अल्लाह की 

ज़िंदगीभर साथ न छोड़ेंगे तेरा, चाहे आधी रात को भी हमें तू बुला ले...


बहकता रहू मैं हर दम, तेरी चाहत के अहसास से

खिलती रहे हर शाम, तेरे होने मेरे पास से 

तन की प्यास नहीं मुझे, जगह तेरे मन में ढूंढ रहा हूँ 

महकता रहे यह जीवन, अपने प्यार के विश्वास से...


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