एक दिलरुबा मिले
एक दिलरुबा मिले
आरज़ू थी दिल की के हमे एक दिलरुबा मिले
हो गए हम खुशनसीब जब तुम हमको आ मिले
पता नहीं था नाराज़ तक़दीर भी होती है इंसान से
मिले जो भी दोस्त अब तक, सब बेवफा मिले।
बेवफा हम नहीं, अपनी आँखों - दिलको पूछिए
अपने दिल को एक ख्याल की ज़हमत तो दीजिये
सरे गम को अपने गले लगा लू जो आपका मिले,
दिल कदमो बिछादूं आपके, बस इजाज़त दीजिये।
चाहता हूँ गुज़रे ज़िन्दगी अब आपकी बिना कोई उदासियों में
डरो मत बीत्ते कल से, अच्छा है आगे आपकी किस्मतो में
नहीं दूंगा कोई ज़ख्म नया आपको, बस ऐतबार कीजिये
समुन्दर बहा दूंगा प्यार और चाहत का, में आपकी खिदमत में।
तुम तो जुदा हो गए कल, साथ छोड़ कर
खड़ा हूँ मैं अभी भी, दिल के वही मोड़ पर
इंतज़ार करूँगा तुम्हारा यहीं सारी ज़िन्दगी
साथ न छोडूंगा तेरा ज़िन्दगी के कोई मोड़ पर।