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बस, तू .....

बस, तू .....

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एक और मौका देना चाहता हूँ ज़िन्दगी को, वरना मैं तो यूँ ही मर रहा हूँ

प्यार पाना चाहता हूँ तेरा, वरना नफरतों से तो यूँ ही गुज़र रहा हूँ

ना गलती है तेरी, ना मेरी ही कोई भूल थी

अब वक़्त बदलना चाहता हूँ हमारा, वरना समय से तो यूँ ही लड़ रहा हूँ।


तमन्ना तुमको बना बैठा हूँ अपने इस जीवन की

प्यार तुमको कर बैठा, देवी बनाया इस जीवन की,

क्या मतलब है गम में ही हमेशा ज़िंदा रहने का 

तुम जो नहीं मिली तो क्या ज़रूरत है इस जीवन का ? 


मौका नहीं, मैं तो तुम्हारा दिल जितना चाहता हूँ

घाव मिले जितने तुम्हें, उसको मेरे प्यार से भरना चाहता हूँ

मैं बुरा दीखता हूँ, पर बुरा नहीं हूँ दिल से बिल्कुल

मिला दे जो ये ज़िन्दगी हमें, सरे सौभाग्य देना चाहता हूँ.


अभी तक नहीं समझी हो शायद, तुम मेरे लिए क्या हो

लक्ष्मी तो बोल ही दिया है तुझे, पर तुम ही मेरी जान हो

दर्द मिला हो तुम्हें कोई भी, उसपे प्यार का मलहम मुझे लगाने दो 

क्यों कि ज़मीर ही नहीं - तुम तो मेरी आन, बान और शान हो।


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