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Abhishek Singh

Romance

4.7  

Abhishek Singh

Romance

इश्क़ और गुलाब !

इश्क़ और गुलाब !

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तुम इश्क़ हो तो,

मैं इजहार हूँ।

तुम हुस्सन हो तो,

मैं बहार हूँ।


तुम्हारे इज़हार की,

पहचान हूँ।

तुम्हारे महबूब की,

अरमान हूँ।


मैं गुलाब हूँ ! मैं गुलाब हूँ !

शुरू आँखो से कर,

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ackground-color: rgba(255, 255, 255, 0);">ख़त्म मुझपे होता है।

हर इकरार का,पूरा ख़्वाब,

मुझसे होता है।


तुमहारे आँखों में बसा ख़्वाब,

कॉमील भी मुझसे होता है।

मेरे बिन,अधूरा तुम्हारा इश्क़।

और तुम बिन अधूरा,

मेरा जीवन।


ऐसा महसूस मुझे होता है

मैं गुलाब हूँ ! मैं गुलाब हूँ !


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