प्रेम का हाल
प्रेम का हाल
सुनो दिकू.....
माना तुम्हारे हालात सही नही रहे
पर कभी सोचना मेरे बारे में
में तुम्हें पाने के लिए नही
तुम्हारी एक झलक के लिए तरसता हूँ
तुम कैसी होगी, किस हाल में होगी
बस यही जानने के लिए तड़पता हूँ
बस तुम तक मेरे हालात पहुंचाने है मुझे
इसी कोशिश में रोज़ दर दर भटकता हूँ
कभी सोचना चाहो मेरे बारे में
तो आँखें बंद कर लेना हमारे समय पर
में उसी समय हमारी जगह पर
बिन मौसम बारिश की तरह हर रोज़ बरसता हूँ।