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अंकित शर्मा (आज़ाद)

Romance

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अंकित शर्मा (आज़ाद)

Romance

साथ

साथ

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दुनिया बनाती सवालों की घेरे

कि कहती है नज़रे मैं तुमसे फेरे

न मालूम उजाले तुम पर करके सारे

मैं खड़ा उस तरफ था जिस तरफ थे अंधेरे


सबकी आंखो ने देखा तुमको अकेला

हां मैं नहीं था पर लग गया था मेला

तुम हसीं से अपनी महफिल सवारती थी

समझा नही कोई जो हसीन खेल खेला


ये तो मैं जानता हूं या तुम जानते हो

कि सांसों का बंधन मेरा तुम्हारा

तुम जीवन हो मेरी, मेरी खुदा हो

बहुत प्यार से नीड़ हमने संवारा


बना मैं रहूंगा ऐसे ही सादा,

जैसे बिताया जीवन ये आधा,

तुमको खुशियां सारी मुझसे हैं मालूम

प्रेम लिए शुचिता जैसे कृष्ण राधा


कहने देता हूं दुनिया को जितना वो जानते हैं

दूरी नहीं कभी भी कोई अवरोध होगा

दूर रहूं या दुनिया को दिखूं दूर तुमसे,

मैं साथ हूं तुम्हारे तुम्हें सदैव ये बोध होगा।।


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