हां हूं संघी
हां हूं संघी
श्री केशव राम जी का हूं सपना
हां हूं संघी।
नागपुर की भूमि की रचना
हां हूं संघी।।
मेरा नमस्कार सदावत्सल हो मातृभूमि
हां हूं संघी।
शुभाशीष याचना मेरी कि हो देश का हित
हां हूं संघी।।
मैं बहुत बड़े परिवार का हिस्सा
हां हूं संघी।
मैं हिंदू पुनरूत्थान का किस्सा
हां हूं संघी।।
मेरी प्रीत तिरंगा प्यारा
हां हूं संघी।
है लक्ष्य अखंड हो देश हमारा
हां हूं संघी।।
मेरे रक्त में त्याग बसा है
हां हूं संघी।
जनसेवा को हृदय कसा है
हां हूं संघी।।
मातृभूमि को सदा समर्पित
हां हूं संघी।
जीवन भारत देश को अर्पित
हां हूं संघी।।
पर्व मेरा सबकी कुशल छेम
हां हूं संघी।
मेरा मजहब बस देशप्रेम
हां हूं संघी।।
सबकी खुशी संजोने वाला
हां हूं संघी।
सबके दु:ख में रोने वाला
हां हूं संघी।।
नहीं कोई अभिप्राय कर्म में
हां हूं संघी।
राष्ट्र राष्ट्र और राष्ट्र हृदय में
हां मैं हूं संघी।।
