वसंत
वसंत
भ्रमरों की मीठी गुंजन से, जब कलियां चटक - चटक जातीं
उनके यौवन - रस ज्वारों से, जब बगिया महक - महक जाती
खगवृंद टोलियां मस्ती में, खुशियों से चहक - चहक जातीं
अपने प्रिय की पाती पढ़कर, रसिका जब लहक - लहक जाती
पाकर समीप प्रियतम को जब, प्रेयसी दहक - दहक जाती
बलखाती पीली सरसों जब, खेतों में लचक - लचक जाती
प्रियवर की याद में जब सजनी की, बोली बहक - बहक जाती
देख बहारें बागों की जब, कोयल कुहुक - कुहुक जाती
लगता तब वसंत है आया, समझो तब मधुमास है छाया

