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Sudhakar Mishra

Romance

3  

Sudhakar Mishra

Romance

वसंत

वसंत

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भ्रमरों की मीठी गुंजन से, जब कलियां चटक - चटक जातीं

उनके यौवन - रस ज्वारों से, जब बगिया महक - महक जाती

खगवृंद टोलियां मस्ती में, खुशियों से चहक - चहक जातीं

अपने प्रिय की पाती पढ़कर, रसिका जब लहक - लहक जाती

पाकर समीप प्रियतम को जब, प्रेयसी दहक - दहक जाती

बलखाती पीली सरसों जब, खेतों में लचक - लचक जाती

प्रियवर की याद में जब सजनी की, बोली बहक - बहक जाती

देख बहारें बागों की जब, कोयल कुहुक - कुहुक जाती

लगता तब वसंत है आया, समझो तब मधुमास है छाया


         


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