कुछ अनकहा सा
कुछ अनकहा सा
कुछ तो है--
अनकहा सा--
तेरे मेरे दरमियां---
जो खुलता ही नहीं,
भाव उमड़ते हैं,
पर, शब्द बनते ही नहीं,
क्या है---
जो रह जाता है--
अनकहा सा??
लाख कोशिश करते हैं--
तुमसे बांटने की--
दर्द अपना
पर
कुछ तो है--
कमबख्त
जो रह जाता है हमेशा--
लबो में फंसा हुआ सा??
कुछ तो है--
अनकहा सा---
तेरे मेरे दरमियां
झांक लो--
बस एक बार--
मेरी आंखों के दर्पण में--
सब कुछ दिख जाएगा--
जो रह गया है--
अनकहा सा--