चाँद तुम सा दिखे.....मेरे हमसफ़र ..!!
चाँद तुम सा दिखे.....मेरे हमसफ़र ..!!
सच होंगे वो लम्हे
कभी तुमसे यूँ मिले
राहत-ए-दीदार
हां चाँद सा तुम दिखे....
आँखों में ख़्वाब सजे
ख़्यालों से तुम जुड़े
बंद पलकों का जहाँ
हां चाँद सा तुम दिखे...
होंठों पे मुस्कान
ख्वाहिश सा तुम लगे
मोहब्बत बेपनाह
हां चाँद सा तुम दिखे....
ख़ामोशी बने ज़िक्र
फ़िक्र से करार बने
दिल के तुम सरताज़
हां चाँद सा तुम दिखे...
कभी दूर कभी पास
धड़कनों का एतबार
चमकता इक तारा
हां चाँद सा तुम दिखे...
ज़मी से आसमां तक
नज़र में तुम ही बसे
फ़िज़ाओं में बहके
हां चाँद सा तुम दिखे...
सांसो की इबादत
क़बूल हो दुआ कभी
नंदिता के हो तुम
हां चाँद सा तुम दिखे...!!