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Devendra Tripathi

Romance

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Devendra Tripathi

Romance

मेरे रहनुमा

मेरे रहनुमा

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तुम कब मेरे सपनों के रहनुमा बन गए,

मैं अक्सर ही तुम्हे अपने साथ देखता हूँ,

ये कोई इत्तेफाक तो नही है,

शायद तुम्हारी सोहबत का असर होगा,

जो मैं कभी समझ ही नही पाया, 

कि तुम कब मेरे सपनों के रहनुमा बन गए।


इतना तो मुझे यकीन हो गया है, 

कि मेरे हर मर्ज की दवा तुम हो,

तुम्हारे बगैर इस जीवन को सोचना,

एक बेमानी सा लगता है,

शायद इतना प्यार जो तुमने किया होगा,

जो मैं कभी समझ ही नही पाया, 

कि तुम कब मेरे सपनों के रहनुमा बन गए।


तुम हर खुशी में मेरे सामने खड़े होते हो,

तुम हर तकलीफ में मेरा माथा सहलाते हो,

जिंदगी की हर लड़ाई में ढाल बन जाते हो,

मेरी परेशानी देख खुद आगे आती हो,

शायद इतना कुछ करती हो जिसका कोई मोल नही होगा,

जिसे मैं कभी समझ ही नही पाया,

कि तुम कब मेरे सपनों के रहनुमा बन गए।


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