STORYMIRROR

Neha Dhama

Romance

4  

Neha Dhama

Romance

हरी हरी चूड़ियां

हरी हरी चूड़ियां

1 min
542

अमर सुहाग की निशानी होती हैं 

 हरी हरी चूड़ियां 

तेरी मेरी प्रेम कहानी होती हैं

 हरी हरी चूड़ियां

सावन की ठंडी फुहारों के 

 मतवाले मौसम में 

गोरे गोरे हाथों की सुंदरता बढ़ाती है  

 हरी हरी चूड़ियां

देखो गली में चूड़ी वाला आया

 रंग बिरंगी चूड़ियां लाया 

सजना मुझे भी दिला दो भर भर हाथ   

 हरी हरी चूड़ियां

मैं भी आज कर सोलह श्रृंगार 

 सज धज इतराऊंगी

खन खन खनकाऊँ इन हाथों में 

  हरी हरी चूड़ियां

कितना इठलाऊं, शरमाऊं , 

 पिया तुझे रिझाऊं

तुझ संग झूला झुलूँ निहारूँ बार बार  

 हरी हरी चूड़ियां

ओढ़ धानी चुनरियां धरा सी हो  

 मतवाली झूमूं

 प्रेम गीत बरखा में मुझ संग भीगे 

  हरी हरी चूड़ियां ।।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance