तुझे याद करते करते
तुझे याद करते करते
ये कहां आ गए हम तुझे
याद करते करते
मीलों चले आएं संग बिताएं
लम्हों की याद में चलते चलते
मैं तेरे रूबरू तू मेरे रूबरू
मैं तेरी आरज़ू तु मेरी आरज़ू
पहुंचे उस जगह जहां पहली बार
मिले थे हम तुम
टकराएं थे दोनों के नैन
एक दूजे के नैनों से
आंखों ने आंखों में झांका
दिल के आईने में जाकर
अक्स की अक्स से बातें हुई
चंद अल्फाजों में
निहारते ही रह गए थे
तुम मेरी सुरत को
मैने दिल में बसा लिया था
तेरी मूरत को
मदहोश कर देने वाली
खनकती मधुर आवाज
पहली नजर में अपना
बनाने वाला कातिल अंदाज
पूछे थे चंद सवालात तुमने
पर मैने तो कुछ कहा ही नहीं
बस तेरी हंसी देखती रह गई
कुछ बरस पहले की बात याद आई
लगा सब अभी घटित हो रहा है
कुछ पल कुछ घड़ी
तुमसे क्या जुदा हुई
दिल तड़प रहा अंखियां
नदियां बन बह रही
दौड़कर चौखट तक जाती हूं
जब भी कोई आहट सुनती हूं
मायूस हो लौट आती हूं
जब तुम्हें नहीं पाती हूं
कुछ दिन साल प्रतीत हो रहे हैं
लौट आओ प्रियतम
तुम बिन विरह अग्नि में
रेत से जल भुन रही हूं ।।