तेरा बिछड़ना
तेरा बिछड़ना
तेरे बिछड़ने का गम दिल में छुपाए बैठे हैं
अश्कों से अपना दामन भिगाए बैठे हैं,
मुझे मालूम है कभी लौटकर न आओगे।
फिर भी आस का चराग जलाएं बैठे हैं ।।
तेरे बिछड़ने का गम नासूर बन गया है,
उस दर्द को ही दवा बनाए बैठे हैं ।।
तेरा दिया दर्द भी मुझे बहुत अज़ीज़ है,
तेरी हर चोट को दामन में छुपाए बैठे हैं।।
तूने बेवफाई का खंजर चुभोया है सीने में,
हम तेरी ज़फा को वफ़ा बनाए बैठे हैं।।
बंद होती आंखों में तेरी तस्वीर बसाई है,
ऐसे में तेरा दीदार हो जाए यह आस लिए बैठे हैं।।
ख्वाब तो टूटने के लिए ही होते हैं,
टूटे ख्वाब पूरे हो जाएं यह ख्वाब संजोए बैठे हैं।।
अंतिम अल्फाज़ हैं अंतिम यह श़ेर मेरा,
तू मेरी ग़ज़ल बन जाए यह इल्तिज़ा लिए बैठे हैं।।