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Kanchan Shukla

Romance

4  

Kanchan Shukla

Romance

बारिश का ख़त

बारिश का ख़त

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सावन की बूंदें लगीं जब बरसने,

वो बारिश का मंज़र फिर याद आया,

तुम्हारा वो बारिश में ख़त मुझको देना,

ख़त लेकर मेरा नज़र झुकाना,


तेरा मुस्कुराना फिर चले जाना,

बारिश की रिमझिम मेरा ख़त को पढ़ना,

सावन की बूंदों से स्याही का मिटना,

जिसे देखकर मेरा ख़त को छुपाना,


धुंधले हुए शब्द , जो तुमने लिखें थे,

उन शब्दों को मैंने दिल में संजोया,

आता है जब भी बारिश का मौसम,

तेरा ख़त लेकर पढ़ती हूं अब भी,


तेरा फिर न आना न मुझको बुलाना,

मैं तकतीं रही तेरा रस्ता बहुत दिन,

मेरा दिल कहता तुम आओगे इक दिन,

न तुम कभी आए, मेरी झूंठी थी आशा,


बारिश की बूंदें जब तन को भिगोतीं,

तेरा ख़त लेकर मैं अब भी हूं रोती,

ये बारिश न आए न आए तेरी यादें,

ये मांगें मेरा दिल ईश्वर से हर पल।


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