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Kanchan Shukla

Inspirational

4  

Kanchan Shukla

Inspirational

यशोधरा का प्रश्न महात्मा बुद्ध

यशोधरा का प्रश्न महात्मा बुद्ध

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393


हे आर्य पुत्र,?

हे ज्ञान पुंज,?

यह प्रश्न हमारा है तुम से,?

जब ज्ञानी बन कर ज्ञान बांटना,

लक्ष्य यहीं है मालूम था?

तब गठ बन्धन का बंधन क्यों,

लेना तुमने स्वीकार किया??

जब बंध ही गए थे बन्धन में

तब बंधकर रहना क्यों मंजूर नहीं??

उस रात अकेली छोड़ गए

क्या इक पल को तुमने सोचा था??

जब तुम न मिलोगे राजमहल में?

मैं रोऊंगी अकुलाऊंगी,?

इस संतप्त हृदय को तब, मैं कैसे समझा पाऊंगी??

लोगों के पूछे प्रश्नों का मैं क्या उत्तर दें पाऊंगी

कोई पूछेगा कहां गए? क्या तुमने उनको रोका न??

पत्नी होकर भी तुमने ना रूप जाल में बांधा क्यों??

इन प्रश्नों के क्या मैं उत्तर दूंगी?

तुम्हें हुआ आभास नहीं?

ज्ञानी बनने से पहले तुम इतना मुझे बता देते?

क्या कर्म छोड़कर ज्ञान बांटना ज्ञानी की मर्यादा है?

पहले अपने कर्तव्यों को तुम पूरा करते फिर जाते?

या मुझे जगाकर कहते तुम अब और नहीं रह पाऊंगा ?

मुझको मुक्ति दें दो तुम इस बन्धन से आजाद करो?

मैं वंदन कर अभिनंदन कर तिलक तुम्हारा कर देती?

क्षत्राणी थी मैं कैसे अपने कर्तव्य मार्ग से हट जाती?

जो किरिच चुभी है सीने में उसकी पीड़ा कुछ कम हो जाती?

मैं प्रश्न पूछतीं खुद से ही और स्वयं को उत्तर दे पाती?

मैंने भेजा था तुमको, ज्ञान बांटने इस दुनिया को?

इतना सम्मानित कर जाते पत्नी थी कोई शत्रु नहीं?

यह प्रश्न हमारा तुम से है इसका उत्तर देना होगा?

अब आएं हो ज्ञानी बनकर मेरे प्रश्नों का उत्तर दो?

पत्नी यदि अर्धांगिनी है तो बिना बताए त्यागा क्यों?

क्या नारी का अस्तित्व नहीं जब मन चाहे उपयोग करो?

उसकी इच्छा का मान नहीं सम्मान नहीं ?

क्या जड़ है वह उसके शरीर में प्राण नहीं?

इन प्रश्नों के उत्तर दे दो मैं ज्ञान तुम्हारा मानूंगी?

ज्ञानी बनकर फिरते हो कुछ ज्ञान हमें भी दें दो तुम?

नारी का कर्तव्य है क्या? इसको मुझे बता दो तुम?

हे आर्य पुत्र?

हे धर्म पुंज?

यह प्रश्न हमारा तुम से है?

ले जाओ अपने पुत्र को भी?

अब करतीं हूं मैं मुक्त तुम्हें?

इन प्रश्नों के उत्तर लेने फिर आऊंगी फिर आऊंगी??



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