जियो तो ऐसे….
जियो तो ऐसे….
जीने का नाम है ….ज़िंदगी …
बस सुनते आये …. और सुनाते रहे सब को
छोटा सा शब्द ….. जीना …
कहाँ ,कैसे,कब,किस तरह ….,
कोई ना बता पाया …
सोचा खुद ही …. कुछ ऐसा कर जाऊँ
खुद ही इसका गूढ़ अर्थ …. समझ लूँ..
और समझा के औरों को ..
इस पहेली को सुलझाऊँ ..
मुस्कुराहटें आयी झोली में …
तो बिखरा दी सभी को
कहीं कोई उदासी थी
तो जा के बाँट ली
यूँ चल पड़ा ये सुहाना सफ़र ..
ना रुका कहीं …ना रुकेगा अब
खुद जीयो और … निशाँ छोड़ते जाओ
ऐसे जीतें है …. सिखाते जाओ।