धीरे धीरे चल ए ज़िन्दगी …
जी लूँ मैं हर पल ए ज़िन्दगी …
ज़िन्दगी तू जो मिली
बगिया ये मन की खिली
मुस्कुराहटो के फूल है
किस किस को चुन लू
सब के सब मुझे क़ुबूल हैं
सज़ा के रख लूँ हर पल
तेरे साथ चलता रहूँ
इस की रवानगी में बहता चलूँ
इस जहाँ में हर कोई चाहे तुझे
प्यार से भी है तू प्यारी मुझे
समेटना चाहे हर कोई तुझे को
हर पल मेरी आग़ोश में रहे
बस मेरी खुशियाँ रहे
और कुछ भी न होश रहे
कोशिशें तेरे साथ कदम मिलाने की
हर पल को जी जाने की
यूँ ही भर लूँ झोली अपनी मुरादो की
इतना सा एहसान कर दे ए ज़िन्दगी …
बहुत तेज है रफ़्तार तेरी
थोड़ा आहिस्ता आहिस्ता चल समझ तो लेने दे
ये पड़ाव है या है मंजिल मेरी
धीरे धीरे चल ….ए ज़िन्दगी …
मैं #@ यशवी समझ सकूँ तेरी चाल ए ज़िन्दगी
करूँ सारी उम्र मैं तेरी …बंदगी
# @ यशवी …