ज़िंदगी एक गुलदस्ता …
ज़िंदगी एक गुलदस्ता …
ज़िन्दगी एक गुलदस्ता ही तो है
बनाया है इसे रंग बिरंगे फूलों से
हर रंग को यूँ चुना उसने
हर फूल की जगह बनायी
उस रब ने यूँ बना के इन्हें
इनके रंगों से पहचान करायी
ज़िंदगी को यूँ फूलों से रंगों से
सजा के गुलदस्ते सा सजाया
कभी ख़ुशी कभी ग़म के रंगों से महकाया
शायद इंसान को ये समझाया
इनकी रंगों की शान बनायी
हाँ रंगो को प्रतीक बना कर
अनोखी दुनिया यूँ सजाई
हर रंग का एक वजूद रहे
रंगो से भी भेदभाव ना कर के
अपने मौजूद होने की ताकीद करवायी
किसी को कम किसी को ज़्यादा
का ना कभी एहसास हो
इस की भी एक रीत बनायी
पीले फूलो से महके मंदिर द्वारे
तो सफेद फूलो से शहीदों की कब्र सजाई
लाल हो या नीले हो
हर किसी की पहचान बनायी
बस इन्हीं फूलों की तरह ज़िन्दगी है
कभी महकाती है
कभी मुरझाती है
कभी कभी चुभ जाती है
शिकवा नहीं रंग बिरंगे फूलों के गुलदस्ते से
वो अपना किरदार
निभाते हैं
एक साथ रह कर एक गुलदस्ते में साथ साथ मुस्कुराते हैं
इंसानों को भी फूलों की तरह साथ साथ रहने को समझाते हैं
तू भी एक गुलदस्ते का फूल है
कभी महकी ,कभी मुस्कुरायी
कब जाने ये मुरझाएगी
ज़िन्दगी के गुलदस्ते से यूँ चली जाएगी
