ये रिश्ते …
ये रिश्ते …
ये रिश्ते
ये रिश्ते बड़े प्यारे बनाये
बना के इन रिश्तों को
कुछ एहसास कराए
हाँ उस ऊपर बैठे रब ने
ये समझाया
जी लेना हर अंदाज़ में
हर नज़र में इज़्ज़त मान रखना यूँ जीना ज़िन्दगी को
सब के दिलो में अपना स्थान रखना …
बहुत नाज़ुक होते है ये
कच्चे धागे के जैसे होते हैं
टूट जाते हैं तब
जब दुनिया से दूर जाते हैं
कहाँ हर पल रहना है यहाँ
आज मिले कल बिछुड़ जाना है
ये रिश्तों के अफ़साने हैं
रह जाएँगे
जिन से छूटे
उनकी यादों के बहाने रह जाएँगे
बस इसी बहाने ख़ुद भी वो आ गया इस जहाँ में
दिल को बना के घर अपना
समा गया इस जहाँ में
अपने ही बनाये इंसानों में अपने लिए एक जगह बनायी
हाँ दिल में बसेरा कर के अपनी राह बनायी
हर रिश्ते को समझने और समझाने को
एक अपनी दुनिया बनायी उसने
रिश्ते जो बनाये हो
उनको ना तोड़ो कभी
एक दिन ये सब छूट जाएँगे
जब जग से नाता टूटेगा
निभाना हर रिश्ता तब तक
जब तक धागा ना टूटेगा
मैंने भी
रिश्ते बनाये है
एक बेटी , एक पत्नी ,एक माँ
के रिश्ते सजाए है
चाहा यही मैंने
खरी उतरूँ हर कसौटी पे
इस जन्म को दोबारा पा सकूँ
इतनी दूर का ना सोचा कभी मैंने
हर रिश्ता तेरी दी हुई सौगात समझ के निभाऊँ मैं
जाऊँ यहाँ से जब मैं
सब के दिलो की चाह रहूँ
मिलने को दोबारा फिर
उनकी एक ना भूला सकने वाली आह रहूँ
ये रिश्ते बड़े प्यारे
ऐसे ही रहे दिलों में
ना टूटे कभी …
ना छूटे कभी …
बस एहसासों से दबे
आबाद रहे …
