हमभारत के लोग
हमभारत के लोग
हम भारत के लोग !
क्यों न अपना यही नाम हो,
जाति,धर्म का मिश्रण ना हो,
प्रेम हो जिसमें अपनत्व भाव हो
हम,भारत के लोग !
हम,भारत के उत्तम लोग !
नैतिकता का सार यही हो,
हर ग्रंथ का प्रस्ताव यही हो
अंतर्मन में विश्वास यही हो,
जन-गण-मन में आभास यही हो
हम,भारत के लोग !
हम,भारत के उत्तम लोग !
हम एक हों,मिलकर एक हों ऐसे,
इक महान राष्ट्र का प्रतीक हों जैसे
देश में न्याय की नदियाँ बहती हों,
दिल में मोहब्बत की सदियाँ बसती हों
हम,भारत के लोग !
हम,भारत के उत्तम लोग !
क्यों न मिलकर यह प्रण ले हम,
गोत्र नहीं,भारत देश चुनें हम
धर्म नहीं एलोहिम(सृष्टिकर्ता)चुनें हम,
इस भक्ति से भर के चलें हम
हम,भारत के लोग !
हम,भारत के उत्तम लोग !
तब यह जग अपना होगा,
सुख,अमन,शांति का सुंदर सपना होगा
आत्मा !में सच्ची स्वतंत्रता होगी,
हर नाम के साथ भारत उपनाम होगा
हम,भारत के लोग !
हम,भारत के उत्तम लोग !