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Meera Kannaujiya

Children Stories Drama Others

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Meera Kannaujiya

Children Stories Drama Others

इंद्रधनुष

इंद्रधनुष

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एक कहानी बड़ी पुरानी,

बूढ़ा राजा, जिसका उकाब था साथी,

राजमहल के ऊपर उड़कर,

प्रजा की करता वो निगरानी।


इंद्रधनुष था उसका नाम,

राजा का प्रिय राजघराने की शान,

खेलता हवा संग बिजली बनकर,

गिरता शत्रुओं पर विकराल सिंह बनकर।


बीमार हुआ जब राजा एक दिन,

नहीं जी सकता राजकुमारी बिन,

बिछड़े उससे दस साल हुए,

बूढ़ा पिता अब कैसे जीये।


तब इंद्रधनुष ने ऊंची उड़ान भरी,

नजरों से दूरगामी चाल चली,

मैं खोज लाऊँगा तुमको प्यारी,

तुम बिन सूनी बगिया और माली।


एक जादूगर के पिंजड़े में फँसी थी,

राजघराने की अंगूठी उसने पहनी थी,

शेर सा उसपर गहर गया वह,

पिंजरा ले उड़ा पताखा सा लहर गया वह।


टूटा पिंजड़ा आज़ाद हुई,

पिता की दुलारी से फिर मुलाकात हुई,

आज भी याद है वफ़ादारी उसकी,

स्वामी की साँसें थी उसने खरीद ली।



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