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Meera Kannaujiya

Inspirational Children

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Meera Kannaujiya

Inspirational Children

तू चाहता है मैं भी फलवंत बनूँ

तू चाहता है मैं भी फलवंत बनूँ

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किसी एक ऋतु में नहीं हर ऋतु में फलूं ;

शरीर के नहीं आत्मा के फलों में बढूँ,

जैसे तूने मुझपर कृपा की कृपालु मैं भी बनूँ;

तू दया का सागर और क्षमा की ख़ान है,


जैसे तूने मुझे माफ़ी दी माफ़ मैं भी करूँ;

प्रेम और आनंद का तू अथाह सागर है,

कुछ छोटी नदियाँ प्रेम की मैं भी बहाऊँ;

धर्य का तू सीनै पहाड़ है,


कुछ धीरज दिल में धरना मैं भी सीखूँ;

नम्रता और दीनता तुझमें बेमिसाल है,

कुछ नम्रता और दीनता धारण मैं भी करूँ; 

तू चाहता है मैं भी फलवंत बनूँ,


किसी एक ऋतु में नहीं हर ऋतु में फलूं।

संसार के नहीं तेरे गुणों में बढूँ !

हाँ तुझ जैसा बनूँ !


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