प्रकृति वरदान
प्रकृति वरदान
ओ ले के हरियाली सौगात,
संग साँसों की बरसात।
सबका जीवन बचाने आयी है प्रकृति,
जल भी दिए हैं हमें, फल भी दिए हैं।
छाया भी दी है, सुन्दर कल भी दिया है,
ओ दिया सब कुछ हम पर वार।
दिए अनगिनत उपहार,
सबका जीवन बचाने आयी है प्रकृति।।
प्रकृति मित्र बनो, पौधे लगाओ,
अपनी धरा को खूब सजाओ।
करें प्रण बारम्बार, करें धरा का शृंगार,
सबका जीवन बचाने आयी है प्रकृति।।
गोद में खेले, इसकी छाया में पले हैं,
फर्ज निभाने अपना हम तो चले हैं।
लगाएँ पौधे हर घर-द्वार,
करें जीवन का उद्धार।
सबका जीवन बचाने आयी है प्रकृति।।
हरे-भरे पेड़ हैं धरा के आभूषण,
इनसे ही होता पर्यावरण सन्तुलन।
न होने देंगे इन पर वार,
रक्षा को हम है तैयार।
सबका जीवन बचाने आयी है प्रकृति।।
पेड़ बचेंगे तभी जीवन बचेगा,
इनसे ही धरा का प्रदूषण हटेगा।
खूब छायेगी बहार, सपने होंगे सब साकार।
सबका जीवन बचाने आयी है प्रकृति।।
