फिर उठाया जब से मेरी जिंदगी ने
फिर उठाया जब से मेरी जिंदगी ने
कुछ ना चाहत तो ही सब कुछ मिला मुझे
मेरे सब्र का ये ही मिला है सिला मुझे
जब तक मैं डरती थी डराती रही मुझे
हर मुश्किल मजबूत बनाती रही मुझे
राह के कांटे भी फूल बन गए
उसने जब आते हुए देखा मुझे
सिर उठाया जब से मेरी जिंदगी ने
हर नजर करने लगे सिजदा मुझे
जब से गम को हंस के मैंने पी लिया
तब से हर गम लगे मीठा मुझे।